आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता
कल हो ना हो
Wednesday, January 20, 2010
Saturday, December 5, 2009
Wednesday, November 11, 2009
Its alll about my Allahabad,,
ऐ सरज़मीने इलाहाबाद
तुझसे दूर होकर
हम दिन गुजारते हैं
तन्हाइयों में रोकर
कैसे कहें हमारे लिए
तू क्या है इलाहाबाद
बसता है दिल जहाँ
वो जगह है इलाहाबाद
हम तुझसे आशना थे
वो वक्त और था
हम भी थे इलाहाबादी
क्या खूब दौर था
शहरे वफ़ा तुझसे मेरी
पहचान है पुरानी
रौशन तेरे बाज़ार या
गलियाँ हों जाफरानी
मुसलमाँ जहाँ होली में
चेहरों को रंगे रहते
हिंदू भी मुहर्रम में
थे मर्सिया कहते
गुस्से में भी जुबां से
आप निकलता था
रस्ता बताने वाला
साथ में चलता था
जिसको न दे मौला
उस पर भी इनायत
मशहूर है अजदाद ने
छोड़ी नही गैरत
शेरो-सुखन से लोग
बातों की पहल करते
महफिल में बुला कर
क्या खूब चुहल करते
पतंगों से आसमान की
जागीर झटकते थे
वो ढील छोड़ देते
हम गद्दा पटकते थे
मकबूल बहुत है
कबाब जहाँ का
बेमिसाल आज भी
शबाब जहाँ का
हमको है याद आती
तेरी शाम अब भी
रौशन है ज़हनो दिल में
तेरा नाम अब भी
गर्दिशे हालात से
मजबूर हो गए
न चाहते हुए भी
तुझसे दूर हो गए.....
तुझसे दूर होकर
हम दिन गुजारते हैं
तन्हाइयों में रोकर
कैसे कहें हमारे लिए
तू क्या है इलाहाबाद
बसता है दिल जहाँ
वो जगह है इलाहाबाद
हम तुझसे आशना थे
वो वक्त और था
हम भी थे इलाहाबादी
क्या खूब दौर था
शहरे वफ़ा तुझसे मेरी
पहचान है पुरानी
रौशन तेरे बाज़ार या
गलियाँ हों जाफरानी
मुसलमाँ जहाँ होली में
चेहरों को रंगे रहते
हिंदू भी मुहर्रम में
थे मर्सिया कहते
गुस्से में भी जुबां से
आप निकलता था
रस्ता बताने वाला
साथ में चलता था
जिसको न दे मौला
उस पर भी इनायत
मशहूर है अजदाद ने
छोड़ी नही गैरत
शेरो-सुखन से लोग
बातों की पहल करते
महफिल में बुला कर
क्या खूब चुहल करते
पतंगों से आसमान की
जागीर झटकते थे
वो ढील छोड़ देते
हम गद्दा पटकते थे
मकबूल बहुत है
कबाब जहाँ का
बेमिसाल आज भी
शबाब जहाँ का
हमको है याद आती
तेरी शाम अब भी
रौशन है ज़हनो दिल में
तेरा नाम अब भी
गर्दिशे हालात से
मजबूर हो गए
न चाहते हुए भी
तुझसे दूर हो गए.....
Sunday, November 1, 2009
जिस रोज़ हर पेट को रोटी मिल जायेगी
जिस रोज़ हर पेट को रोटी मिल जायेगी
जिस रोज़ हर चेहरा हँसता नज़र आयेगा
जिस रोज़ नंगे बदन कपड़ों से ढके होंगे
जिस रोज़ खुशियों में वतन डूब जायेगा
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देखना .
जिस रोज़ किसानो के भरे खलियान होंगे
और रोज़गारशुदा वतन के नौजवान होंगे
जिस रोज़ पसीने की सही कीमत मिलेगी
इन महलों से बड़े जिस रोज़ इन्सान होंगे
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देखना .
जिस रोज़ राह में कोई अबला न लुटेगी
जिस रोज़ दौलत से कोई जान न मिटेगी
जिस रोज़ यहाँ जिस्म के बाज़ार न लगेंगे
जिस रोज़ डोली दर से कोई सूनी न उठेगी
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देखना .
ये हाथ पसारे मासूम बचपन हजारों
जिस रोज़ मुझे राह में घूमते न दिखेंगे
जिस रोज़ ज़र्द, पिचके वीरान चेहरों पे
भूख के नाचते - गाते बादल न दिखेंगे
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देख
जिस रोज़ हर चेहरा हँसता नज़र आयेगा
जिस रोज़ नंगे बदन कपड़ों से ढके होंगे
जिस रोज़ खुशियों में वतन डूब जायेगा
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देखना .
जिस रोज़ किसानो के भरे खलियान होंगे
और रोज़गारशुदा वतन के नौजवान होंगे
जिस रोज़ पसीने की सही कीमत मिलेगी
इन महलों से बड़े जिस रोज़ इन्सान होंगे
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देखना .
जिस रोज़ राह में कोई अबला न लुटेगी
जिस रोज़ दौलत से कोई जान न मिटेगी
जिस रोज़ यहाँ जिस्म के बाज़ार न लगेंगे
जिस रोज़ डोली दर से कोई सूनी न उठेगी
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देखना .
ये हाथ पसारे मासूम बचपन हजारों
जिस रोज़ मुझे राह में घूमते न दिखेंगे
जिस रोज़ ज़र्द, पिचके वीरान चेहरों पे
भूख के नाचते - गाते बादल न दिखेंगे
उस रोज़ मेरे नग्मों का अंदाज़ देखना
मेरी आवाज़ में एक नई आवाज़ देख
Sunday, October 25, 2009
ye kavita kisne likhi hI MUJHE YAAD NAHI BUT MUJHE PASAND HAI..
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हू तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है
मोहबत्त एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूं है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
मै जब भी तेज़ चलता हू नज़ारे छूट जाते है
कोई जब रूप गढ़ता हू तो सांचे टूट जाते है
मै रोता हू तो आकर लोग कन्धा थपथपाते है
मै हँसता हू तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते है
समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता
ये आसूं प्यार का मोती इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
भ्रमर कोई कुम्दनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोह्बत्त का
मै किस्से को हक्कीकत में बदल बैठा तो हंगामा
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेडे सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मै बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया ये प्यार का किस्सा
कभी तू सुन नहीं पाई कभी मै कह नहीं पाया
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हू तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है
मोहबत्त एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूं है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
मै जब भी तेज़ चलता हू नज़ारे छूट जाते है
कोई जब रूप गढ़ता हू तो सांचे टूट जाते है
मै रोता हू तो आकर लोग कन्धा थपथपाते है
मै हँसता हू तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते है
समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता
ये आसूं प्यार का मोती इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
भ्रमर कोई कुम्दनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोह्बत्त का
मै किस्से को हक्कीकत में बदल बैठा तो हंगामा
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेडे सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मै बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया ये प्यार का किस्सा
कभी तू सुन नहीं पाई कभी मै कह नहीं पाया
Saturday, October 24, 2009
समझा मुझे खिलौना खेला और छोड़ा
Samjha mujhe khilona aur dil mera toda.
Pahele basaya dil me ab tanha hai chhoda
Gar khelna tha mujhse pahele bataya hota
Pal bar ki khushi deke kyu gum se laake joda
Dilon ka katal karna fitrat hai tumhari
Mai ja raha tha tanha
kyu rasta mera moda
Bewafa kahu tujhe ya kah du badgumani
Shayad teri jindgi me mai ban gaya hoon roda
Itna na itra tu apne aap par..
Tu khud tutegi aise jaise matka kisi ne foda
Tu royegi har pal mujhko yaad karke
Sochegi jab yeh kyu “SHADAB” ko maine chhoda
Pahele basaya dil me ab tanha hai chhoda
Gar khelna tha mujhse pahele bataya hota
Pal bar ki khushi deke kyu gum se laake joda
Dilon ka katal karna fitrat hai tumhari
Mai ja raha tha tanha
kyu rasta mera moda
Bewafa kahu tujhe ya kah du badgumani
Shayad teri jindgi me mai ban gaya hoon roda
Itna na itra tu apne aap par..
Tu khud tutegi aise jaise matka kisi ne foda
Tu royegi har pal mujhko yaad karke
Sochegi jab yeh kyu “SHADAB” ko maine chhoda
क्यों हमसे खफा हो तुम ?
Kyun Hum Se Khafa Ho Tum,
Kyun Bhool Gaye Humko,
Rishta To Purana Tha,
Ik Yeh Bhi Zamana Hai,
Ik Woh Bhi Zamana Tha,
Rangeen Fizayen Thin,
Aur Shokh Adayen Thin,
Jazbon Pe Jawani Thi,
Mosam Bhi Suhana Tha,
Seenay Se Lagaya Tha,
Ankhon Pe Bithaya Tha,
Maloom Na Tha,
Tumne Yun Choor K Jana Tha,
Kyun Hum Se Khafa Ho Tum,
Kyun Hum Se Juda Ho Tum,
Kia Jurm Hua Humse,
Itna Toh Batana Tha,
Kyun Bhool Gaye Humko,
Rishta toh Purana Thaa……!!
Kyun Bhool Gaye Humko,
Rishta To Purana Tha,
Ik Yeh Bhi Zamana Hai,
Ik Woh Bhi Zamana Tha,
Rangeen Fizayen Thin,
Aur Shokh Adayen Thin,
Jazbon Pe Jawani Thi,
Mosam Bhi Suhana Tha,
Seenay Se Lagaya Tha,
Ankhon Pe Bithaya Tha,
Maloom Na Tha,
Tumne Yun Choor K Jana Tha,
Kyun Hum Se Khafa Ho Tum,
Kyun Hum Se Juda Ho Tum,
Kia Jurm Hua Humse,
Itna Toh Batana Tha,
Kyun Bhool Gaye Humko,
Rishta toh Purana Thaa……!!
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